
डॉ. शंकर दयाल शर्मा
पूरा नाम: डॉ. शंकर दयाल शर्मा
जन्म: 19 अगस्त 1918, भोपाल, मध्य प्रदेश
मृत्यु: 26 दिसंबर 1999, नई दिल्ली
राजनीतिक दल: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
परिचय:
डॉ. शंकर दयाल शर्मा भारत के नौवें राष्ट्रपति थे। वे भारतीय राजनीति के एक प्रमुख नेता, विद्वान और संवैधानिक विशेषज्ञ थे। राष्ट्रपति बनने से पहले वे देश के उपराष्ट्रपति और विभिन्न मंत्रालयों में केंद्रीय मंत्री भी रहे।
राजनीतिक सफर:
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1952-1956: मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री (शिक्षा, विधि, उद्योग)
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1956-1967: मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष
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1971-1974: केंद्रीय संचार मंत्री
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1974-1977: केंद्रीय कानून मंत्री
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1984-1987: पंजाब और महाराष्ट्र के राज्यपाल
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1987-1992: भारत के उपराष्ट्रपति
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1992-1997: भारत के राष्ट्रपति
योगदान और उपलब्धियाँ:
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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लिया।
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भारत के संविधान और कानून प्रणाली को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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बतौर राष्ट्रपति, लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक परंपराओं को मजबूती प्रदान की।
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शिक्षा और न्याय प्रणाली में सुधार लाने की दिशा में काम किया।
निधन:
डॉ. शंकर दयाल शर्मा का निधन 26 दिसंबर 1999 को नई दिल्ली में हुआ। वे अपने उत्कृष्ट प्रशासनिक कौशल और संवैधानिक मूल्यों के प्रति निष्ठा के लिए हमेशा याद किए जाएंगे।
पार्टी के प्रेरणा पुंज, भारत के पूर्व महामहिम राष्ट्रपति एवं युगपुरुष डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा जी, जिन्हें महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने का गौरव प्राप्त है, उनके प्रति राष्ट्रीय नारायणवादी विकास पार्टी अपनी श्रद्धा अर्पित करती है।
डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने भोपाल राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उन्होंने पूरे राष्ट्र में अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित की। भारत सरकार के संचार मंत्री के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने देश की संचार व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने के लिए कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक निर्णय लिए।
डॉ. शर्मा ने भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में अपनी गरिमामयी भूमिका निभाई और तत्पश्चात भारत के महामहिम राष्ट्रपति के रूप में राष्ट्र और समाज के उत्थान के लिए अद्वितीय योगदान दिया। उनके कार्यकाल के दौरान भारत को पहली बार एक सनातन सरकार के निर्माण का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने सदैव सनातन मूल्यों और संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए कार्य किया।
स्वर्गीय पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में जब अल्पमत सरकार बनी, तब डॉ. शर्मा के विशेष प्रयासों से सनातन शक्ति को निरंतर बल मिला और देश के गरीबों, वंचितों और पीड़ितों के उत्थान हेतु अनेक क्रांतिकारी कदम उठाए गए। उनकी निस्वार्थ राष्ट्रभक्ति और समाजसेवा की भावना ने भारत के राजनीतिक परिदृश्य को एक नई दिशा प्रदान की।
कांग्रेस पार्टी द्वारा उन्हें प्रधानमंत्री पद का प्रस्ताव भी दिया गया था, किंतु उन्होंने सदैव पद और प्रतिष्ठा से अधिक राष्ट्र सेवा को प्राथमिकता दी। उनके मन, वचन और कर्म में सदैव राष्ट्र और समाज के प्रति समर्पण भाव विद्यमान रहा। उनकी सादगी, ईमानदारी और निःस्वार्थ सेवा भावना उन्हें अन्य सभी नेताओं से अलग और विशिष्ट बनाती है। उनके संपूर्ण राजनीतिक जीवन में एक भी दाग नहीं लगा, और वे आज के राजनेताओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।
डॉ. शंकर दयाल शर्मा जी के सपनों को साकार करने के लिए राष्ट्रीय नारायणवादी विकास पार्टी कटिबद्ध है। पार्टी उनके दिखाए गए मार्ग पर चलकर राष्ट्र की प्रगति, गरीबों के उत्थान और समाज के सर्वांगीण विकास के लिए निरंतर कार्य करने का संकल्प लेती है। पार्टी के लाखों-करोड़ों कार्यकर्ता, पदाधिकारी एवं समर्थक उनके चरणों में शत-शत नमन एवं श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं और देश की एकता, अखंडता और समृद्धि के लिए समर्पित रहने का संकल्प लेते हैं।
जय हिंद! जय भारत! जय नारायण! जय शंकर दयाल शर्मा!