शीला दीक्षित

पूरा नाम: शीला दीक्षित
जन्म: 31 मार्च 1938, कपूरथला, पंजाब
मृत्यु: 20 जुलाई 2019, नई दिल्ली
राजनीतिक दल: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

परिचय:

शीला दीक्षित भारतीय राजनीति की एक महत्वपूर्ण नेता थीं, जिन्होंने दिल्ली की सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री (1998-2013) रहने का गौरव प्राप्त किया। वे अपने प्रशासनिक कौशल, दिल्ली के आधुनिकीकरण, और महिला सशक्तिकरण के लिए जानी जाती हैं।

राजनीतिक सफर:

  • 1984-1989 तक कन्नौज (उत्तर प्रदेश) से लोकसभा सांसद रहीं।

  • 1986-1989 में केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया।

  • 1998 में पहली बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं।

  • लगातार तीन बार (1998-2013) दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं।

  • 2014 में केरल की राज्यपाल बनीं, लेकिन कुछ महीनों बाद इस्तीफा दे दिया।

  • 2019 में दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष बनीं।

योगदान और उपलब्धियाँ:

  • दिल्ली में मेट्रो सेवा शुरू करने में अहम भूमिका निभाई।

  • सड़कों, फ्लाईओवर और सार्वजनिक परिवहन को विकसित किया।

  • शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार लाए।

  • दिल्ली को स्वच्छ और हरित बनाने के लिए कई योजनाएँ लागू कीं।

निजी जीवन और विवाद:

  • 2013 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के अरविंद केजरीवाल से हार गईं।

  • 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना किया, लेकिन उन पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई।

निधन:

शीला दीक्षित का 20 जुलाई 2019 को दिल्ली में हृदय गति रुकने से निधन हो गया। वे दिल्ली के विकास और राजनीति में अपने योगदान के लिए हमेशा याद की जाएँगी।

पार्टी के प्रेरणास्रोत और दिल्ली प्रदेश की 15 वर्षों तक माननीय मुख्यमंत्री रहीं, राष्ट्र और समाज को समर्पित विकास की नायिका, स्वर्गीय शीला दीक्षित जी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के विकास के लिए जानी जाती हैं। उनकी सरकार की प्राथमिकता चौड़ी सड़कों का निर्माण, सुगम आवागमन के लिए पुलों का निर्माण तथा दिल्ली को जाम की समस्या से मुक्त करना था। उन्होंने हमेशा स्वच्छ और सुंदर दिल्ली का सपना देखा और इसे साकार करने के लिए ऐतिहासिक कार्य किए।

 

स्वर्गीय शीला दीक्षित जी, जो पार्टी के प्रेरणास्रोत एवं भारत के विकास पुरुष पंडित नारायण दत्त तिवारी जी की कृपा पात्र थीं, न केवल एक कुशल राजनेता थीं, बल्कि दिल्ली के भाई-बहनों से उनका गहरा जुड़ाव था। वे लगातार दिल्ली के विकास के लिए नित्य नए कार्य करती रहीं। उनकी लोकप्रियता का प्रमाण यह है कि दिल्ली के मतदाताओं ने उन्हें लगातार तीन पंचवर्षीय योजनाओं तक मुख्यमंत्री चुना। वे देश की ऐसी पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं, जिन्होंने लगातार तीन बार दिल्ली प्रदेश का नेतृत्व किया। संभवतः उनका यह रिकॉर्ड कोई तोड़ न पाए।

 

इतिहास के पन्नों में स्वर्गीय शीला दीक्षित जी का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगा। आज भी दिल्ली में उन्हें अत्यंत सम्मान और आदर के साथ याद किया जाता है। दिल्ली की गलियां, पार्क, सड़कें और समस्त विकास कार्य उनके योगदान की जीवंत गवाही देते हैं। वे एक बेहतर भविष्य में विश्वास रखती थीं और दिन-रात मेहनत कर दिल्लीवासियों के लिए समर्पित रहीं।

 

रोजगार से लेकर झुग्गी-झोपड़ी की कॉलोनियों के पुनर्वास तक, उनकी सरकार ने हमेशा समावेशी विकास को प्राथमिकता दी। सादगी और ईमानदारी की प्रतिमूर्ति शीला दीक्षित जी महिलाओं और पुरुषों दोनों की प्रिय नेता थीं। इसी कारण दिल्ली उनसे भावनात्मक रूप से जुड़ गई थी, और लोग उन्हें अपना सर्वप्रिय नेता मानते थे।

 

नारायण परिवार के लाखों-करोड़ों समर्थकों, कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों और सहयोगियों की ओर से उनके श्रीचरणों में शत-शत नमन। उनके कुशल नेतृत्व में दिल्ली प्रदेश के ऐतिहासिक विकास के लिए उन्हें सदैव याद किया जाएगा।

 

जय हिंद! जय भारत! जय नारायण! जय शीला दीक्षित!