प्रणब कुमार मुखर्जी

पूरा नाम: प्रणब कुमार मुखर्जी
जन्म: 11 दिसंबर 1935, मिराती, पश्चिम बंगाल
मृत्यु: 31 अगस्त 2020, नई दिल्ली
राजनीतिक दल: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

परिचय:

प्रणब मुखर्जी भारत के दसवें राष्ट्रपति (2012-2017) रहे। वे भारतीय राजनीति में एक अनुभवी और बुद्धिमान नेता माने जाते थे, जिन्होंने वित्त, रक्षा, विदेश और वाणिज्य जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का नेतृत्व किया। वे कांग्रेस पार्टी के प्रमुख रणनीतिकारों में से एक थे और अपने प्रशासनिक कौशल के लिए प्रसिद्ध थे।

राजनीतिक सफर:

  • 1969 में पहली बार राज्यसभा सदस्य बने।

  • 1973 में इंदिरा गांधी सरकार में पहली बार मंत्री बने।

  • 1982-1984 तक भारत के वित्त मंत्री रहे।

  • 1991-1996 में नरसिम्हा राव सरकार में वाणिज्य मंत्री रहे।

  • 2004-2006 में रक्षा मंत्री बने।

  • 2006-2009 तक विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया।

  • 2009-2012 में फिर से वित्त मंत्री बने।

  • 2012 में भारत के 13वें राष्ट्रपति बने और 2017 तक इस पद पर रहे।

योगदान और उपलब्धियाँ:

  • भारतीय अर्थव्यवस्था को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

  • 1991 के आर्थिक सुधारों में बड़ा योगदान दिया।

  • रक्षा, विदेश और वित्त नीतियों को मजबूत किया।

  • 2019 में भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया।

निजी जीवन और विवाद:

  • इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रधानमंत्री पद की दौड़ में रहने की अफवाहें थीं, जिससे वे कांग्रेस पार्टी से अस्थायी रूप से अलग हो गए थे।

  • राष्ट्रपति बनने के बाद वे राजनीति से पूरी तरह दूर हो गए और एक निष्पक्ष व्यक्तित्व के रूप में प्रतिष्ठित हुए।

निधन:

प्रणब मुखर्जी का निधन 31 अगस्त 2020 को हुआ। वे एक दूरदर्शी नेता और भारतीय राजनीति के स्तंभ के रूप में हमेशा याद किए जाएंगे।

पार्टी के प्रेरणास्रोत, भारत के महामहिम पूर्व राष्ट्रपति एवं भारत रत्न स्वर्गीय प्रणब मुखर्जी भारतीय राजनीति के शिखर पुरुषों में से एक थे। विदेश मंत्री और वित्त मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल राष्ट्र की प्रगति और खुशहाली के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। वंचित समाज के प्रति उनके मन में अपार श्रद्धा थी, और वे निरंतर भारत के कोने-कोने में विकास के लिए समर्पित रहे।

 

उनका संकल्प सदैव हर भारतीय को समान अवसर प्रदान करने का था। इसी विचारधारा के तहत, जब आरएसएस ने उन्हें अपने मुख्यालय में आमंत्रित किया, तो जिस पार्टी के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित किया था, उसने उन्हें वहाँ जाने से रोकने का प्रयास किया। लेकिन उन्होंने इस आमंत्रण को स्वीकार किया और भारतीय मानवता एवं सनातन संस्कृति के हित में अपने विचार व्यक्त किए, जिससे पूरे देशवासियों में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ।

 

उन्होंने कभी भी दबाव में आकर राजनीति करना स्वीकार नहीं किया और सदा सत्य के मार्ग पर चलते हुए राष्ट्र व समाज की समृद्धि के लिए कार्य करते रहे। ईमानदारी और सादगी उनके चरित्र की पहचान थी, और वे सदैव हर उस भारतीय के सम्मान व स्वाभिमान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहे, जो देश के उत्थान में अपना योगदान देता रहा।

 

प्रणब मुखर्जी का तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के प्रति विशेष स्नेह था क्योंकि वे जानते थे कि त्याग, तपस्या और बलिदान ही सच्चे नेतृत्व की पहचान हैं। उन्होंने हमेशा राष्ट्र और जनहित में कार्य करने वाले लोगों का सम्मान किया। जब तत्कालीन केंद्र सरकार ने उनके नाम को राष्ट्रपति पद के लिए प्रस्तावित किया, तो संपूर्ण विपक्ष ने भी एकमत होकर उनके नाम पर सहमति जताई और वे भारत के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए।

 

राष्ट्र और सनातन संस्कृति के प्रति उनका योगदान सदैव सराहनीय रहेगा। राष्ट्रीय नारायणवादी विकास पार्टी के लाखों-करोड़ों समर्थकों, कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों और सहयोगियों की ओर से हम उनके पावन चरणों में शत-शत नमन एवं श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। साथ ही, हम यह वचन देते हैं कि उनके पदचिह्नों पर चलकर राष्ट्र के उत्थान के लिए सदैव कृतसंकल्पित रहेंगे। उन्होंने हर भारतीय को समान अवसर देने के लिए अथक प्रयास किए, और उनका देशप्रेम एवं योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।